
कोरोनाकाल में केंद्र सरकार द्वारा लाए कृषि बिल को लेकर देशभर के किसान गुस्से में हैं। पंजाब, हरियाणा के किसान सहित यूपी के किसान दिल्ली कूच कर रहे हैं। इसी को देखते हुए केंद्र सरकार ने दिल्ली के सभी सीमाओं को बंद कर सुरक्षा बढ़ा दी है। सिंधु बॉर्डर पर किसानों और पुलिस के बीच भिड़ंत हुई है, यहां पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े हैं। अब इस प्रदर्शन का असर उत्तर प्रदेश में दिखने लगा है और मेरठ-मुजफ्फनगर में हाइवे जाम किया गया है।
किसानों के इस आंदोलन को लेकर कई मीडिया चैनल्स इस पर सवाल उठा रहे हैं और इस खालिस्तान द्वारा प्रायोजित बता रहे हैं। देश के अन्नदाता के हक को लेकर मीडिया के इस रवैए पर सोशल मीडिया यूजर्स काफी नाराजगी जाहिर कर रहे हैं। वे मीडिया को गोदी मीडिया संबोधित कर रहे हैं, और सरकार द्वारा बिका हुआ बता रहे हैं।
एक यूजर ने लिखा, दल्लों शर्म आनी चाहिए! मीडिया में मैं कई ऐसे लोगों को जानता हूं जो नैतिकता और पत्रकारिता के सिद्धांत को जीवित रखने के लिए लड़ रहे हैं और उनकी वजह से मैं आप पर पूर्ण हमले नहीं करना चहता हूं! मैं अपने आप को बैंकर्स के मुद्दे पर नियंत्रित किया हुआ था, लेकिन इस पर नहीं करने वाला! क्योंकि इससे मेरा देश प्रभावित होगा।
अगर आप अपने अधिकारों के लिए विरोध नहीं कर सकते तो नए भारत में आपका स्वागत है। मोदी के शासन वाले भारत में।
क्या हमें ऐसी पत्रकारिता की जरूरत है?
या क्या हमें इन्हें पत्रकार कहना चाहिए??
एक यूजर ने लिखा, AIKSCC और किसान मोर्चा ने पीएम मोदी को पत्र भेजकर उन्हें दिल्ली आने और उनके प्रतिनिधि से बातचीत करने को कहा है।
सभी लोग कहते हैं कि किसान हमारे देश की ताकत है। लेकिन अगर ताकत क्षीण होगी तो देश ढह जाएगा। एक किसान का बेटा होने के नाते इसकी कड़ी निंदा करता हूं।
एक यूजर ने मीडिया के सवाल उठाने पर कहा, जिहादी, खलिस्तानी, मिशनरी, अर्बन नक्सल और देशद्रोही। इसके इतर बीजेपी किसानों के लिए क्या प्रयोग करेगी? भारतीय मीडिया लोगों की दुश्मन है।
अमनदीप नाम के यूजर ने आजतक पर हमला बोलते हुए लिखा, शर्म है आजतक। तुम मोदी सरकार में बिक चुके हो। तुम किसानों के साथ नहीं हो। बिहार में जब बीजेपी रैली कर रही थी तुम बिना रुके दिखा रहे थे। और अब किसानों की खबर दिखाने के लिए आप जो अनलिमिटेड ब्रेक ले रहे हैं। बहुत शर्म की बात है।
जब मुस्लिम विरोध जताए तो वह बीजेपी के खिलाफ है। वे पाकिस्तान द्वारा फंडेड होते हैं। और जब हरियाणा और पंजाब के किसान प्रोटेस्ट करें तो वे खलिस्तान द्वारा उकसाए गए हैं! भाड़ में जाओ राष्ट्रीय गोदी मीडिया। ट्टू सरकार की तारीफ करते नहीं थकते।
किसानों के आक्रोश को देखते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने केंद्र सरकार से अपील की है कि वो किसानों से तुरंत बात करे और प्रदर्शन को रोके। अमरिंदर ने कहा कि किसानों की आवाज को दबाया नहीं जा सकता है, सरकार तीन दिसंबर तक क्यों इंतजार कर रही है।