
कोरोना प्रसार को देखते हुए देशभर में 21 दिनों के लिए लॉकडाउन लागू था। 14 अप्रैल को इसके आखिरी दिन पीएम मोदी ने देशवासियों को संबोधित करते हुए इसके दूसरे चरण का ऐलान किया और लॉकडाउन को 3 मई तक बढ़ा दिया गया है।
पीएम मोदी के संबोधन को लेकर वरिष्ठ कांग्रेस नेता और देश के पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने एक के बाद एक कई ट्वीट किए। चिंदबर ने अपने ट्वीट में गरीबों को धन और भोजन उपलब्ध ना करने सहित राज्यों की मदद ना करने का आरोप लगाया।
चिदंबरम ने लिखा, हम पीएम को नए साल की शुभकामनाएं देते हैं। हम लॉकडाउन का विस्तार करने की मजबूरी को समझते हैं हम फैसले का समर्थन करते हैं। लेकिन लॉकडाउन से परे, पीएम के नए साल के संदेश में ‘नया’ क्या था? यह स्पष्ट है कि गरीबों के लिए आजीविका, उनका अस्तित्व, सरकार की प्राथमिकताओं में नहीं है।
यही नहीं चिदंबरम ने 25 मार्च को जारी दयनीय पैकेज का मुद्दा उठाते हुए लिखा-
मुख्यमंत्रियों द्वारा मांगी गई सहायता का कोई जवाब नहीं मिला। 25 मार्च, 2020 के दयनीय पैकेज में एक रुपया नहीं जोड़ा गया है।
चिदंबरम ने आगे लिखा, ‘आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन, नोबेल विजेता अभिजीत बनर्जी, ज्यां द्रेज और प्रभात पटनायक के सुझावों को नजरअंदाज किया गया है। गरीबों को 40 दिन के लिए अपना इंतजाम खुद करने के लिए छोड़ दिया गया है। धन है, भोजन है लेकिन सरकार न तो पैसा जारी करेगी न ही भोजन। रोओ मेरे प्यारे देश।’