विलंबित विवाह की समस्या के समाधान के लिए कात्यायनी मंत्र लाभकारी है। ऐसा माना जाता है कि कात्यायनी मंत्र में जन्म कुंडली में स्तिथ कुज…
कात्यायनी मंत्र उन लोगों के लिए एक प्रभावी मंत्र है जिनके विवाह में विभिन्न कारणों से अवरोध उत्पन्न हो रहा है।
नवरात्रि में आज मां दुर्गा के छठे स्वरूप देवी माँ कात्यायनी के वंदन का दिन है। ऐसी मान्यता है कि मां कात्यायनी की पूजा करने से व्यक्ति को अपनी इंद्रियों को वश में करने की शक्ति प्राप्त होती है। बाबा ने बताया कि शास्त्रों के अनुसार कत नामक एक प्रसिद्ध महर्षि थे।
इनके पुत्र ऋषि कात्य थे। इन्हीं कात्य के गोत्र में विश्वप्रसिद्ध महर्षि कात्यायन उत्पन्न हुए थे और जब दानव महिषासुर का अत्याचार पृथ्वी पर बढ़ गया तब भगवान ब्रह्मा, विष्णु, महेश तीनों ने मिलकर महिषासुर के विनाश के लिए एक देवी को उत्पन्न किया। ऋषि कात्यायन के यहां जन्म लेने के कारण इन्हें कात्यायनी के नाम से जाना जाता है।
कात्यायनी मंत्र उन लोगों के लिए एक प्रभावी मंत्र है जिनके विवाह में विभिन्न कारणों से अवरोध उत्पन्न हो रहा है। विवाह के लिए कात्यायनी मंत्र भागवत पुराण से उत्पन्न हुआ है। भगवान कृष्ण को पति के रूप में पाने के लिए गोपियों ने माँ कात्यायनी की उपासना की। लड़कियां शीघ्र विवाह और प्रेम विवाह में किसी भी बाधा को हटाने के लिए देवी कात्यायनी की पूजा करती हैं।
कात्यायनी मंत्र एक कन्या की कुंडली में मांगलिक दोष या ग्रहों के नकारात्मक प्रभाव जैसे सभी बाधाओं को दूर करने में बहुत प्रभावी है। कात्यायनी मंत्र के नियमित जप से आपके विवाह में आनेवाली सभी बाधाएं शीघ्र दूर होकर विवाह के योग बनने लगते है।
लाल चन्दन की माला
लाल पुष्प , लाल वस्त्र , लाल आसन
1,25,000 बार
शुक्ल पक्ष , चन्द्रमावली , शुभ नक्षत्र , शुभ ति
विवाह हेतु मंत्र- ॐ देवेन्द्राणि नमस्तुभ्यं देवेन्द्रप्रिय भामिनि। विवाहं भाग्यमारोग्यं शीघ्रं च देहि मे ।।
ॐ शं शंकराय सकल जन्मार्जित पाप विध्वंस नाय पुरुषार्थ चतुस्टय लाभाय च पतिं मे देहि कुरु-कुरु स्वाहा ।।
Advertisementॐ कात्यायनि महामाये महायोगिन्यधीस्वरि ।नन्दगोपसुतं देवि पतिं मे कुरु ते नमः ।।
देवी कात्यायनी मंत्र की देवी हैं। ये नवदुर्गा (शक्ति) के नौ रूपों में छठवें रूप है। महर्षि कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर आदिशक्ति ने उनके यहां पुत्री के रूप में जन्म लिया था। इसलिए वे कात्यायनी कहलाती हैं। कात्यायनी शब्द का शाब्दिक अर्थ ही है ‘ जो दृढ़ और घातक दंभ को दूर करने में सक्षम है ‘। देवी कात्यायनी बृहस्पति ग्रह (गुरु ग्रह ) को नियंत्रित करती है। देवी कात्यायनी सिंह पर विराजमान हैं ; उनको तीन नेत्र और चार भुजाएं है। एक भुजा में चन्द्रहास नामक तलवार है, एक भुजा में कमल का पुष्प है और शेष दो भुजाएं अभयमुद्रा और वरदमुद्रा में हैं। देवी कात्यायनी अमोद्य फलदायिनी हैं इनकी पूजा अर्चना द्वारा सभी संकटों का नाश होता है।
विलंबित विवाह की समस्या के समाधान के लिए कात्यायनी मंत्र लाभकारी है। ऐसा माना जाता है कि कात्यायनी मंत्र में जन्म कुंडली में स्तिथ कुज या मांगलिक दोष को दूर करने की शक्ति होती है । मांगलिक दोष से विवाह में न केवल देरी होती है, अपितु सुखी विवाहित जीवन में भी अनेक समस्याएँ उत्पन्न होती हैं। विवाहित दम्पति भी अपने विवाहित जीवन में सुख और शांति सुनिश्चित करने के लिए और शीघ्र अपने वंशावली में वृद्धि के लिए कात्यायनी मंत्र के नियमित जप से लाभ उठा सकते हैं। कात्यायनी मंत्र , जब पूरी आस्था के साथ जप किया जाए, कन्या की विवाह के लिए योग्य वर को मिलने में सहायता करता है।कात्यायनी मंत्र उन युगल के लिए भी बहुत लाभदायक है जो प्रेम में हैं किन्तु , माता-पिता की अस्वीकृति जैसे विभिन्न कारणों के कारण विवाह नहीं कर पा रहे हैं।
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