
देश की राजधानी दिल्ली में कोरोना के लगातार मामले बढ़ते जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि दिल्ली में कोरोना की तीसरी लहर आ चुकी है। इसी को देखते हुए दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने सार्वजनिक स्थानों पर छठ करने की अनुमति नहीं दी है। केजरीवाल के इस फरमान को लेकर बीजेपी उनपर हमलावर हो चुकी है। भाजपा सांसद और दिल्ली बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष मनोज तिवारी ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को नमक हराम कहते हुए खूब खरी-खोटी सुनाई है। वहीं उत्तरी दिल्ली के महापौर जय प्रकाश ने भी कहा है कि वह मुख्यमंत्री औऱ उप-राज्यपाल को पत्र लिखकर फैसले पर पुनर्विचार की अपील करेंगे।
मनोज तिवारी ने बुधवार को ट्विटर के जरिए अरविंद केजरीवाल पर बिफरते हुए कहा- ”कमाल के नमक हराम मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल हैं। कोविड के सोशल डिस्टेंसिंग नियमों का पालन कर आप छठ नहीं करने देंगे और गाइडलाइंस सेंटर से मांगने का झूठा ड्रामा अपने लोगों से करवाते हैं। बीजेपी सांसद ने आगे कहा, तो बताए ये 24 घंटे शराब परोसने के लिए परमिशन कौन सी गाइडलाइंस को फॉलो करके ली थी, बोलो CM।”
उधर, उत्तरी दिल्ली के महापौर जय प्रकाश ने इसी बाबत कहा कि बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के बड़ी संख्या में लोग राजधानी में रहते हैं और छठ उनका सबसे महत्वपूर्ण और लोकप्रिय त्योहार है, इसलिए सार्वजनिक स्थानों पर छठ पूजा पर प्रतिबंध के मामले में, वे इसे मनाएंगे। इससे बेहतर यह है कि हम छठ पूजा के लिए भीड़ नियंत्रण, घाटों पर सोशल डिस्टेंसिंग के बारे में सख्त दिशा-निर्देशों के साथ अनुमति दें। जय प्रकाश ने दिल्ली के उपराज्यपाल और केजरीवाल को चिट्ठी लिखने की बात कही। उन्होंने कहा, मैं एलजी और सीएम को पत्र लिख रहा हूं और उनसे सार्वजनिक स्थानों पर छठ पूजा पर प्रतिबंध लगाने के मुद्दे पर फिर से विचार करने का अनुरोध करूंगा।
इसके साथ ही गोरखपुर से सांसद और भोजपुरी अभिनेता रवि किशन ने कहा कि – छठ पूजा पर प्रतिबंध लगा कर CM अरविंद केजरीवाल जी ने दिल्ली में रहने वाले हमारे पूर्वांचल/बिहार के लाखों भाइयों-बहनों की आस्था को ठेस पहुंचाई है। मैं जानता हूं आपके लिए छठी मैया की शक्ति,और हम लोगो की आस्था का कोई महत्व नहीं, फिर भी दुःखी मन से पूछता हूं ये आपकी कैसी राजनीति ??
दिल्ली में छठ के लिए 1,200 घाट बने हैं
दिल्ली में उत्तर प्रदेश और बिहार के अधिक संख्या में प्रवासी रहते हैं। छठ को देखते हुए दिल्ली में लगभग 1,200 छठ घाट हैं, जहां हर साल भक्त छठ पूजा मनाते थे। केंद्र सरकार के दिशानिर्देशों के बाद, दिल्ली सरकार ने कोरोना वायरस के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए नदी के तटों, मंदिरों, घाटों और अन्य सार्वजनिक स्थानों जैसे छठ पूजा के सामुदायिक समारोहों पर प्रतिबंध लगा दिया है। सरकार ने इस बाबत सभी क्षेत्र के अधिकारियों कड़ाई से पालन करवाने का आदेश दिया है। यह कदम कोविड-19 मामलों की संख्या में अचानक हुई वृद्धि के बाद उठाया गया है, जो इस महीने की शुरुआत में एक ही दिन में सर्वाधिक 8000 से अधिक मामलों तक पहुंच गई थी।
दिल्ली में छठ को लेकर तेज हुई राजनीति
केजरीवाल के फैसले को लेकर राजनीति काफी तेज हो गई है। दिल्ली सीएम के कदम से बीजेपी और आम आदमी पार्टी (आप) के बीच राजनीतिक बहस छिड़ गई है। भाजपा की दिल्ली इकाई ने मंगलवार को सार्वजनिक स्थानों पर छठ पूजा पर प्रतिबंध लगाने के फैसले का विरोध किया। हालांकि, AAP ने कहा कि दिल्ली सरकार केवल इस मुद्दे पर केंद्र सरकार के दिशानिर्देशों का पालन कर रही है। AAP के वरिष्ठ नेता दुर्गेश पाठक ने मंगलवार को कहा था कि भाजपा शासित केंद्र सरकार ने ही छठ पूजा के उत्सव को रोकने के लिए दिशानिर्देश जारी किए थे, लेकिन वही भाजपा राजनीति कर रही है और केजरीवाल सरकार को जश्न की अनुमति नहीं देने के लिए झूठे आरोप लगा रही है।
छठ पूजा को लेकर क्या कहा दिल्ली हाईकोर्ट ने?
दिल्ली सरकार के खिलााफ याचिका पर सुनवाई के दौरान दिल्ली हाईकोर्ट ने सार्वजनिक तौर पर छठ पूजा मनाने की अनुमति देने से इनकार करते हुए कहा कि जिंदा रहेंगे तो कोई और कभी भी पर्व मना सकेंगे। छठ पर्व पर घाटों पर हजारों की संख्या में लोग इकठ्ठा होते हैं। ऐसे में कोरोना वायरस का फैलाव बड़े पैमाने पर होने का खतरा है। उच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ता को भी इस तरह की याचिका लगाने पर फटकार लगाई। पीठ ने कहा कि मौजूदा समय में इस तरह की याचिका जमीनी सच्चाई से परे है।