
यूपी सरकार गाजीपुर के डॉन मुख्तार अंसारी पर लगातार शिकंजा कसते जा रही है। हाल ही में यूपी पुलिस ने मुख्तार अंसारी की पत्नी सहित भाइयों पर गैंगेस्टर ऐक्ट लगाया था, अब उनके दोनों बेटों पर चाबुक चलाते हुए लखनऊ पुलिस ने 25-25 हजार का इनाम रख दिया है।
पंजाब के रोपड़ जेल में बंद मुख्तार मुख्तार का बी वारंट कराने के साथ पुलिस ने दोनों बेटों अब्बास और उमर पर 25-25 हजार रुपए का इनाम घोषित किया है। अब मुख्तार के दोनों बेटों पर गिरफ्तारी की तलवार लटक गई है। इनाम घोषित होने के बाद दोनों की जल्द गिरफ्तारी की संभावनाएं जताई जा रही हैं।
लखनऊ पुलिस कमिश्नर सुजीत पांडे के अनुसार, वारंट बाय नाम की कार्रवाई सरकारी जमीन पर अवैध निर्माण के मुकदमे में की गई है। गैर जमानती वारंट के लिए कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया गया है।
नेशलन शूटर है अब्बास
मुख्तार अंसारी का बड़ा बेटा अब्बास नेशनल शूटर है। अब्बास अंसारी शॉट गन शूटिंग के इंटरनेशनल खिलाड़ी है। दुनिया के टॉप टेन शूटरों में शुमार अब्बास नेशनल चैंपियन रह चुका है। दुनियाभर में कई पदक जीत चुका है।
क्या है अब्बास पर आरोप? अब्बास का नाम अपराध से तब जुड़ा जब उसके खिलाफ 12 अक्टूबर 2009 को महानगर कोतवाली में शस्त्र लाइसेंस के मामले में धोखाधड़ी की एफआईआर दर्ज कराई गई थी। मामले को एसटीएफ देख रही थी। इसी सिलसिले में लखनऊ पुलिस की एक टीम ने दिल्ली के वसंत कुंज स्थित किराए के मकान पर छापेमारी की जहां से ऑस्ट्रेलिया मेड असलहे बरामद किए थे। अब्बास पर आरोप है कि उसने लखनऊ डीएम की अनुमति के बगैर अपना शस्त्र लाइसेंस दिल्ली के पेपर पर ट्रांसफर करा लिया और वहां पांच असलहे और खरीद लिए थे।
क्या है बी वारंटहै?
जानकारों की मानें तो न्यायालय जिस व्यक्ति को हाजिर करवाना चाहता है, उसके लिए बी वारंट जारी कर सकता है। फिलहाल, इसका कोई भी सेक्शन सीआरपीसी में नहीं है, इसको जारी करने का अधिकार न्यायालय के पास होता है। वहीं न्यायालय उस व्यक्ति को सम्मन जारी करता है, जिसे सम्मन के माध्यम से न्यायालय में हाजिर करवाने का प्रयास किया जाता है। लेकिन यदि व्यक्ति सम्मन से बच रहा है और सम्मन तामील होने के उपरांत भी न्यायालय के समक्ष हाजिर नहीं होता है और न्याय में बाधा बनता है तो ऐसी परिस्थिति में न्यायालय उस शख्स को गिरफ्तार करके अपने समक्ष पेश किए जाने का वारंट जारी करता है।
बता दें हाल ही में मुख्तार अंसारी की पत्नी अफशां और उनके भाइयों सरजील रजा और अनवर शहजाद के विरुद्ध कोतवाली में गैंगस्टर एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कराया गया है। अफशां और सरजील रजा और अनवर शहजाद पर संगठित गिरोह के रूप में अपराध करने का आरोप था। इन लोगों ने शहर कोतवाली क्षेत्र स्थित छावनी लाइन गांव में जिलाधिकारी के आदेश पर कुर्क की गयी आराजी नंबर 162 की जमीन पर अवैध कब्जा कर लिया है।
जब क्राइम की दुनिया में मुख्तार का नाम गूंजाः साल 1988 में मुख्तार का पहली बार नाम क्राइम की दुनिया में गूंजा। मंडी परिषद की ठेकेदारी को लेकर लोकल ठेकेदार सच्चिदानंद राय की हत्या के मामले में मुख्तार का नाम सामने आया। इसी दौरान त्रिभुवन सिंह के कॉन्स्टेबल भाई राजेंद्र सिंह की हत्या बनारस में कर दी गई। इसमें भी मुख्तार का ही नाम सामने आया था। साल 1990 में गाजीपुर जिले के तमाम सरकारी ठेकों पर ब्रजेश सिंह गैंग ने कब्जा शुरू कर दिया। अपने काम को बनाए रखने के लिए मुख्तार अंसारी के गिरोह से उनका सामना हुआ। यहीं से ब्रजेश सिंह के साथ इनकी दुश्मनी शुरू हो गई।
2005 से जेल में बंद हैं मुख्तार अंसारी
- अक्टूबर 2005 में मऊ जिले में हिंसा भड़की। इसके बाद उन पर कई आरोप लगे, हालांकि वे सभी खारिज हो गए।
- उसी दौरान उन्होंने गाजीपुर पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया, तभी से वे जेल में बंद हैं।
- इसी दौरान कृष्णानंद राय से मुख्तार के भाई अफजल अंसारी चुनाव हार गए। मुख्तार पर आरोप है कि उन्होंने शार्प शूटर मुन्ना बजरंगी और अतिकुर्रह्मान उर्फ बाबू की मदद से 5 साथियों सहित कृष्णानंद राय की हत्या करवा दी।
- 2010 में अंसारी पर राम सिंह मौर्य की हत्या का आरोप लगा। मौर्य, मन्नत सिंह नामक एक स्थानीय ठेकेदार की हत्या का गवाह था। मुख्तार और उनके दोनों भाइयों को 2010 में बसपा ने निष्कासित कर दिया।
मुख्तार की हत्या के लिए ब्रजेश सिंह ने 6 करोड़ की सुपारी दी थी
अपने कट्टर दुश्मन को मारने के लिए ब्रजेश सिंह ने 6 करोड़ की सुपारी दी थी। मुख्तार अंसारी की हत्या के लिए ब्रजेश सिंह ने शूटर लंबू शर्मा को 6 करोड़ रुपए की सुपारी दी गई थी। इसका खुलासा साल 2014 में लंबू शर्मा की गिरफ्तारी के बाद हुआ था। इसके बाद से जेल में अंसारी की सुरक्षा बढ़ा दी गई थी।